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"शरीर / आलोक धन्वा" के अवतरणों में अंतर

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21:11, 1 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण


स्त्रियों ने रचा जिसे युगों में
युगों की रातों में उतने नि‍जी हुए शरीर
आज मैं चला ढूँढने अपने शरीर में।


1995