भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बस्ते में चिप / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> बस्ते में चिप लग…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:44, 7 नवम्बर 2010 का अवतरण
बस्ते में चिप लगी हुई है, सबको अता-पता देगी ।
कौन कहाँ क्या गड़बड़ करता है, ये सभी बता
देगी ।
जासूसों की दादी है ये,
वह भी नए ज़माने की,
ख़बर इसे हो जाती है
पल में हर ठौर-ठिकाने की ।
अगर किसी ने ग़लती की तो ये भरपूर सज़ा देगी ।
कौन कहां क्या गड़बड़ करता है, ये सभी बता
देगी ।
छोटी-सी इस चिप का है
कंट्रोल सधू कुछ हाथों में,
इस चिप को न लेना तुम
हँसी-हँसी की बातों में,
ख़तरा होते ही ख़तरे की घंटी कहीं बजा देगी ।
कौन कहाँ क्या गड़बड़ करता है, ये सभी बता
देगी।