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13:13, 8 नवम्बर 2010 का अवतरण
वह हर गली नुक्कड़ पर तन कर खड़ा था।
लोग आते जाते सिर नवाते, चद्दर चढ़ाते उसको ।
दीमक ने अपना महल बना लिया था अन्दर ही अन्दर उसके ।
मैंने जब वरदान माँगा,
तो वह ढह गया ।