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"अब खोजनी है आमरण / भारत भूषण" के अवतरणों में अंतर

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बस आवरण बस आवरण
 
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रतियोजना से गत प्रहार
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हैं व्यंग्य- रत सुधि में बिखर
 
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अस्पृश्य सा अंत:करण
 
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किसका वरण किसका वरण </poem>
 
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22:40, 11 नवम्बर 2010 का अवतरण

अब खोजनी है आमरण
कोई शरण कोई शरण

गोधुली मंडित सूर्य हूँ
खंडित हुआ वैदूर्य हूँ
मेरा करेंगे अनुसरण
किसके चरण किसके चरण

अभिजात अक्षर- वंश में
निर्जन हुए उर- ध्वंस में
कितने सहेजूँ संस्मरण
कितना स्मरण कितना स्मरण

निर्वर्ण खंडहर पृष्ठ हैं
अंतरकथाएं नष्ट हैं
व्यक्तित्व का ये संस्करण
बस आवरण बस आवरण

रतियोजना से गत प्रहर
हैं व्यंग्य- रत सुधि में बिखर
अस्पृश्य सा अंत:करण
किसका वरण किसका वरण