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गांव रै बारै
मुसाणां रै असवाड़ै-पसवाड़ै
खड़्या रूंख'र झाडख़ा
लागै उदास-उदास
अर रूंखां माथै
बैठी चिड़कल्यां
निरखै
म्हां सगळां नै
गूंगी अर बावळी सी
बुत बणयोड़ी
चुपचाप
तद
लागै मुसाण
फकत
माटी रौ अजायबघर ।