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»  परायी

तू परायी है फिर भी
       मुझसे करती है प्यार
भूलेगी नहीं कभी जैसे
       इतना करे दुलार

तू थी सीधी, सरल, समर्पित
       जब विवाह हुआ था तेरा
पर तेरा सिर झुका हुआ था
       वह देख न पाया चेहरा

तुझे स्त्री बना छॊड़ा उसने
       पर तू मुझे लगे कुँवारी
तेरी हर अदा से झलके
       तेरी सुन्दरता सारी

तू करेगी यदि विश्वासघात फिर..
       तो ऐसा होगा एक बार
शर्मीली, संकोची है तू
       तेरी आँखों में प्यार

तू छुपा नहीं पाती यह
       कि अब उसके लिए परायी...
तू अब भूल नहीं पाएगी
       मुझे कभी भी, मेरी मिताई !

(1903-1906)

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय