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फिसल रही चांदनी / नागार्जुन
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06:26, 18 नवम्बर 2010
नाच रही, कूद रही, उछल रही चाँदनी
वो देखो, सामने
पीपल के पत्तों पर फिसल रही
चांदनी
चाँदनी
(१९७६)
</poem>
अनिल जनविजय
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