"बुलावा / रमानाथ अवस्थी" के अवतरणों में अंतर
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प्यार से मुझको बुलाओगे जहाँ | प्यार से मुझको बुलाओगे जहाँ | ||
एक क्या सौ बार आऊँगा वहाँ | एक क्या सौ बार आऊँगा वहाँ | ||
− | पूछने की है नहीं | + | पूछने की है नहीं फ़ुर्सत मुझे |
कौन हो तुम क्या तुम्हारा नाम है | कौन हो तुम क्या तुम्हारा नाम है | ||
किस लिए मुझको बुलाते हो कहाँ | किस लिए मुझको बुलाते हो कहाँ | ||
पंक्ति 10: | पंक्ति 14: | ||
फूल से तुम मुस्कुराओगे जहाँ | फूल से तुम मुस्कुराओगे जहाँ | ||
− | मैं भ्रमर सा | + | मैं भ्रमर सा गुनगुनाऊँगा वहां |
कौन मुझको क्या समझता है यहाँ | कौन मुझको क्या समझता है यहाँ | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 22: | ||
आदमी को तुम झुकाओगे जहाँ | आदमी को तुम झुकाओगे जहाँ | ||
− | प्राण की बाजी | + | प्राण की बाजी लगाऊँगा वहाँ |
− | जानता हूँ एक दिन मैं फूल सा | + | जानता हूँ एक दिन मैं फूल-सा |
टूट जाऊँगा बिखरने के लिए | टूट जाऊँगा बिखरने के लिए | ||
फिर न आऊँगा तुम्हारे रूप की | फिर न आऊँगा तुम्हारे रूप की | ||
पंक्ति 26: | पंक्ति 30: | ||
किन्तु तुम मुझको भूलाओगे जहाँ | किन्तु तुम मुझको भूलाओगे जहाँ | ||
− | याद अपनी मैं | + | याद अपनी मैं दिलाऊँगा वहाँ |
मैं नहीं कहता कि तुम मुझको मिलो | मैं नहीं कहता कि तुम मुझको मिलो | ||
पंक्ति 34: | पंक्ति 38: | ||
सर उठाकर तुम झुकाओगे जहाँ | सर उठाकर तुम झुकाओगे जहाँ | ||
− | बूँद बन-बन टूट जाऊँगा | + | बूँद बन-बन टूट जाऊँगा वहाँ |
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21:09, 21 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
प्यार से मुझको बुलाओगे जहाँ
एक क्या सौ बार आऊँगा वहाँ
पूछने की है नहीं फ़ुर्सत मुझे
कौन हो तुम क्या तुम्हारा नाम है
किस लिए मुझको बुलाते हो कहाँ
कौन सा मुझसे तुम्हारा काम है
फूल से तुम मुस्कुराओगे जहाँ
मैं भ्रमर सा गुनगुनाऊँगा वहां
कौन मुझको क्या समझता है यहाँ
आज तक इस पर कभी सोचा नहीं
आदमी मेरे लिए सबसे बड़ा
स्वर्ग में या नरक में वह हो कहीं
आदमी को तुम झुकाओगे जहाँ
प्राण की बाजी लगाऊँगा वहाँ
जानता हूँ एक दिन मैं फूल-सा
टूट जाऊँगा बिखरने के लिए
फिर न आऊँगा तुम्हारे रूप की
रौशनी में स्नान करने के लिए
किन्तु तुम मुझको भूलाओगे जहाँ
याद अपनी मैं दिलाऊँगा वहाँ
मैं नहीं कहता कि तुम मुझको मिलो
और मिल कर दूर फिर जाओ चले
चाहता हूँ मैं तुम्हें देखा करूँ
बादलों से दूर जा नभ के तले
सर उठाकर तुम झुकाओगे जहाँ
बूँद बन-बन टूट जाऊँगा वहाँ