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"चुम्बनों-सी बारिश / पंकज त्रिवेदी" के अवतरणों में अंतर
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कोहरे ने
आगोश में ले लिया है मुझे
तुम्हारी तरह
और
चुम्बनों-सी बारिश की बूँदें
नहलाती है मुझे
मीठी नोंकझोंक सी चट्टानों की ठोकरें
फिर भी -
कितनी सुहावनी लगती है यह
जिन्दगी...!!
मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : स्वयं कवि