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(नया पृष्ठ: <poem>बै आभै में उड़ै मैली आंख सूं करै ऊजळी धरती रो मुआयनो धरती माथै …)
 
 
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<poem>बै आभै में उड़ै
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बै आभै में उड़ै
 
मैली आंख सूं करै  
 
मैली आंख सूं करै  
 
ऊजळी धरती रो मुआयनो
 
ऊजळी धरती रो मुआयनो

22:35, 25 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

बै आभै में उड़ै
मैली आंख सूं करै
ऊजळी धरती रो मुआयनो

धरती माथै आवै
बांदरां नै बांटै बै
धारदार उस्तरा

बांदरां एक दूजै रो
नाक-कान-गळो
बाढण री तक सोधै
जठै तांई पूगै हाथ
घाव करै

धरती हुवै
मिनखां रै रगत सूं लाल
पण बै मुळकै, मजा करै
दाखां रो दारू उडावै
असली घी में रध्योड़ा मुर्गा खावै
काची-कंवळी कोरी
सांसां रै समंदर में गोता लगावै

बांरा बादरां फिर-फिर उत्पात मचावै
बै हरख-उच्छब मनावै !