भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुदरत रै आगै / निशान्त" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह= }} Category:मूल राजस्थानी भाषा {{KKCatKavita…)
(कोई अंतर नहीं)

10:49, 26 नवम्बर 2010 का अवतरण

 
पाड़ोसी बगा देवै
गळी में थोड़ो-घणो पाणी
तो आपां
मरण नै त्यार हो जावां

पण मेह रै पाणी नै
जूतियां खोल’र
लांघ ज्यावां ।