भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रोज़ सुबह / सत्यनारायण सोनी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्यनारायण सोनी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> रोज़ सुबह …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:03, 27 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
रोज़ सुबह
जब मैं उठता हूँ-
मंदिर में
आरती हो रही होती है,
मस्जिद में
मुल्ला अजान देता है
और गुरुद्वारे का पाठी
गुरुवाणी पढ़ रहा होता है ।
ठीक उसी वक़्त
मेरे घर के सामने
नीम के पेड़ पर
घोंसले में चिड़िया
अपने चहचहाते बच्चों को
चुग्गा चुगा रही होती है ।