{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
|संग्रह=गीतिका / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला";रागविराग / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
}}
{{KKCatKavitaKKCatNavgeet}}
<poem>
टूटें सकल बन्ध
रुद्ध जो धार रे
शिखर - निर्झर झरे
मधुर कलरव भरे
शून्य शत-शत रन्ध्र।रन्ध्र ।
रश्मि ऋजु खींच दे
चित्र शत रंग के,
वर्ण - जीवन फले,जागे तिमिर अन्ध।अन्ध ।
</poem>