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अंगूठाभर हैं नन्हे मियाँ/ प्रदीप मिश्र

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दे रहा हूँ शुभकामनाएँ


बच्चों की मुस्कान को
किसानों के खलिहान को
औरतों के आसमान को
चिड़ियों की उड़ान को
                 दे रहा हूँ शुभकामनाएँ।


देश के विधान को
संसद के ईमान को
जीवन के संविधान को
मनुष्य के सम्मान को
                 दे रहा हूँ शुभकामनाएँ।

प्रेम के उफान को
हृदय की जुबान को
संस्कृति की आन को
धर्म के इमान को
दे रहा हूँ शुभकामनाएँÄ

कलैण्डर के दिनमान को
इतिहास के वर्तमान को
भविष्य के अनुमान को
भोर के अनुसंधान को
               दे रहा हूँ शुभकामनाएँ।