भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बादल / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:05, 31 मार्च 2011 का अवतरण
बादल ने बदल दिया मौसम का रुतबा
पानी का व्याप गया
दुनिया में दबदबा
ऊपर को उमड़ चलीं नीचे की नदियाँ
टूटे पुल
टूट गई
टूक टूक सदियाँ
रचनाकाल: २४-०७-१९६९