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चंद्रोदय / दिनेश कुमार शुक्ल
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उड़ो हंस !
इस सोती हुई नीलिमा में कुछ लहरें पैदा करो
तुम्हारे उड़ने से चन्द्रमा उदय होकर मुँडेर तक आ जायेगा </poem>