भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देवी की माया / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:53, 8 फ़रवरी 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देवी जी की माया है उत्तरप्रदेश में ।
लक्ष्मी ने धंधा फैलाया है इस वेश में ।।

लाओ रुपया, लाओ रुपया, लाओ रुपया ।
यही ख़बर आती है उसके हर संदेश में ।।

घर असबाब साथ लिए घूमा करते हैं ।
नौकरशाही को हड़काया है उसने प्रदेश में ।।

जनता को सूली पर टाँगा, पैसे को बाप बनाया ।
उसने हाहाकार मचाया मुख्यनेत्री के भेष में ।।

दलित सवर्णों, सवर्ण दलितों का राज है देखो ।
मलेच्छों ने हाथ मिलाया है अब इस देश में ।।

(2002)