भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बातों बातों म्रें आज / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


बातों बातों में आज हम किस मुकाम पर आ गए

देखो, राम जी कैसे एक पूरी कौम पर छा गए

इन्सान कुशी का सिलसिला हिन्द में जो शुरू हुआ

देख उसे चंगेज़ खाँ, हिटलर, मुसोलिनी शरमा गए

नस्ली दरिन्दे और शैतान अट्टाहस पर अट्टाहस करें

हैवानों की गिरफ़्त में अब हिन्दुस्तानी भी आ गए


(2002)