भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निरथक / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:33, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
आ‘ग्यो
आघो
छूटगी लारै
मंजल
बावड़ पाछो
कोनी चालणै रो
कोई अरथ
जे नहीं पूगै
मिनख
ठौडसर !