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आदत / कन्हैया लाल सेठिया

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खोल्यां
बिन्यां ही
हटड़ी रो पूरो किवांड
कर दै पूछणो सरू
छोरो
कठै पड़ी है
कतरणी
सुई‘र डोरो
कोनी करै
चिन्यो घणो जीव नै दोरो
मिल ज्यावै सोक्यूं सोरो
आ नीत
कोनी सधण दै दीठ
रह ज्यावै आदमी
कोरो रो कोरो !