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एक ग़रीब का अकेलापन / असद ज़ैदी

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एक ग़रीब का अकेलापन

उसके ख़ाली पेट के सिवा कुछ नहीं

अपनी दार्शनिक चिन्ता में

दुहराता हूँ मैं यही एक बात