भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मायूसी / मिथिलेश श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:28, 16 जुलाई 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मदनगीर इस शहर में एक जगह है
जहाँ से आने वाले लोगों को देख कर
जाना जा सकता है उन लोगों को जो
रखते हैं जीवित इस शहर को

यह शहर
अपने हाथों अपने सिर पर रखता है ताज
एक मायूस बादशाह की तरह