भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कराची से आती सदाएँ / अंजना बख्शी
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:30, 6 जुलाई 2011 का अवतरण (कराची से आती सदाएँ / अंजना बक्शी का नाम बदलकर कराची से आती सदाएँ / अंजना बख्शी कर दिया गया है)
रोती हैं मज़ारों पर
लाहौरी माताएँ
बाँट दी गई बेटियाँ
हिन्दुस्तान और पाकिस्तान
की सरहदों पर
अम्मी की निगाहें
टिकी है हिन्दुस्तान की
धरती पर,
बीजी उड़िकती है राह
लाहौर जाने की
उन्मुक्त विचरते
पक्षियों के देख-देख
सरहदें हो जाती है
बाग-बाग।
पर नहीं आता कोई
पैग़ाम काश्मीर की वादियों
से, मिलने हिन्दुस्तान की
सर-ज़मीं पर
सियासी ताक़तों और
नापाक इरादों ने कर दिया
है क़त्ल, अम्मी-अब्बा
के ख़्वाबों का, सलमा की उम्मीदों का
और मचा रही है स्यापा
लाहौरी माताएँ, बेटियों के
लुट-पिट जाने का,
मौन ग़मगीन है
तालिबानी औरतों-मर्दों के
बारूद पे ढेर हो
जाने पर।
लेकिन कराची से
आ रही है सदाएँ
डरो मत....
मत डरो....
उठा ली है
शबनम ने बंदूक !!