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फूल आँगन में उगा देता है / अशोक आलोक

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फूल ऑंगन में उगा देता है
आस जीने की जगा देता है
जब भी आता बहार का मौसम
आग दामन में लगा देता है
ग़ैर से उम्मीद भला क्या रखिए
जबकि अपना ही दगा देता है
ज़ख़्म देने का सिलसिला रखकर
जो भी देता है सगा देता है
साथ रखता है उम्रभर लेकिन
दिल की चौखट से भगा देता है