आकाश को जाने न देना
अपनी पकड़ से ।
उसमें हैं तुम्हारे मेरे रंग ।
जब हम खिड़की खोलेंगे
ट्रेन की । कमरे की ।
दिखेंगे नहीं क्या हम-तुम
एक-दूसरे को ।
उसमें ।
आकाश को जाने न देना
अपनी पकड़ से ।
उसमें हैं तुम्हारे मेरे रंग ।
जब हम खिड़की खोलेंगे
ट्रेन की । कमरे की ।
दिखेंगे नहीं क्या हम-तुम
एक-दूसरे को ।
उसमें ।