भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विश्वास / सुरेश यादव

Kavita Kosh से
डा० जगदीश व्योम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:47, 19 जुलाई 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


मन होता जब
बहुत उदास
कविता पास आ जाती
अनायास
सूझती नहीं राह
अँधेरा बहुत घना होता
कविता जलती है दिए -सी
फैलता प्रकाश
जब होता है
हारा हुआ मन
छाई होती -टूटन और थकन
कविता
जगाती आस
बन जाती
आस्था और विश्वास।