भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धूप के पाँव (हाइकु) / जगदीश व्योम
Kavita Kosh से
डा० जगदीश व्योम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:42, 13 अगस्त 2011 का अवतरण
( हाइकु )
धूप के पाँव
थके अनमने से
बैठे सहमे।