भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपनापा.. / हरीश बी० शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

मैं
हाथ तेरा हाथ में ले
पवन बांधू साथ
चलूँ सागर सात,
सातो भौम
अपनापा रचूँ।

मैं रचूँ एक-एक अणु में आस्था
भाव भर दूँ
सूत्र-से साकार दूँ।

कुछ पैहरन बेकार
वो उतार दूँ
हो वही मौलिक
कि जितना रच रहा
आवरण सारे वृथा उघाड़ दूँ।