भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सपना जो नहीं होता / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:18, 28 नवम्बर 2011 का अवतरण
झूठा है वह सच
सपना नहीं जो होता—
सपने में ही जीना
सपने को चाहे सच होना है उसका
झूठ को जियो कितना ही
सच नहीं होता वह
जिऊँ चाहे सपने-सा
तुम्हें
सच तुम ही हो मेरा ।
—
30 मई, 2009