भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

व्यक्तिगत / पंकज सिंह

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:07, 11 जून 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इस बारिश में

मैं ताज़ा घास की हरी गंध से

भरता जाता हूँ रास्ते से गुजरते हुए


देखो तुममें से कोई या न देखो

यों डबडबाती हैं अजीब ख़ुशियाँ

एक मौसम की

गँवार आदमी के अधरों में


(रचनाकाल : 1980)