दिल्ली / बोधिसत्व
खर कहइ, संगति नसाइ
अब केउ दिल्ली न जाइ
का दर दिल्ली कब करइ अन्नोर
सब कहइ, चोर चोर
तब कहां घुसुरबे बताव भाइ
खर कहइ, संगति नसाइ
अब केउ दिल्ली न जाइ
दिल्ली हमइ बरबाद केहेसि
दिल्ली हमइ का खाक देहेसि
दिल्ली हमइ का चुसेसि नांहि
दिल्ली हमइ का राज देहेसि
दिल्ली हमइ देहेसि पगलाइ
खर कहइ, संगति नसाइ
अब केउ दिल्ली न जाइ
दिल्ली बहुत चमक-चतुर
दिल्ली बहुत चिक्कन
बहुर खुर-दुर,
दिल्ली हमइ कहइ तू.....तू.....आ
दिल्ली हमइ कहइ दुर......दुर
दिल्ली हमइ लपेटेसि भाइ
खर कहइ, संगति नसाइ
अब केउ दिल्ली न जाइ
दिल्ली जहाँ बनत नंहि देर
दिल्ली कहइ बहुत हेर-फेर
दिल्ली गेंहू मटर कइ देइ
दिल्ली धुआँ देइ, दिल लेइ
दिल्ली चलइ हमेसा धाइ
दिल्ली दिल्ली दिल्ली दिल्ली
बहुत नमकीन बहुत रसीली
दिल्ली दिन में लूटई
राति में खाई ।
दिल्ली बाप ददा के खाएसि
दिल्ली थोड़ हँसाएसि
ढेर रोआएसि
दिल्ली ग जे लौटा नांहि ।
खर कहई संगति नसाई
अब केउ दिल्ली न जाई ।