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हाइकू / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
Kavita Kosh से
(1)
खिलखिलाए
पहाड़ी नदी जैसी
मेरी मुनिया’
(2)
तुतली बोली
आरती में किसी ने
मिसरी घोली-
(3)
(4)
बीते बरसों
अभी तक मन में
खिली सरसों
(5)
दर्द था मेरा
मिले शब्द तुम्हारे
गीत बने थे