भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आदरें अधिक काज नहि बंध / विद्यापति
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:22, 4 जुलाई 2014 का अवतरण
आदरें अधिक काज नहि बंध।
माधव बूझल तोहर अनुबंध।।
आसा राखह नयन पठाए।
कत खन कउसलें कपट नुकाए।।
चल चल माधव तोहें जे सयान।
ताके बोलिअ जे उचित न जान।।
कसिअ कसउटी चिन्हिअ हेम।
प्रकृति परेखिअ सुपुरुख पेम।।
सउरभें जानिअ कमल पराग।
नयने निवेदिअ नव अनुराग।।
भनइ विद्यापति नयनक लाज।
आदरें जानिअ आगिल काज।।