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मां अर म्हैं /अंकिता पुरोहित
Kavita Kosh से
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मां कद झलाया
सगळा बरत
ठाह नीं पण करूं
म्हैं नेम सूं,
बरत री कथावां
मां रै कंठां सूं निकळ’र
कद बसगी म्हारै कंठां
है ज्यूं री ज्यूं
ठाह ई नीं पड़ी!
जित्ता गीत
मां नैं आवै
बित्ता ई आवै म्हनैं
बियां ई जुड़ै जाड़ा
बियां ई दूखै माथो
बियां ई चालै पगां में रीळ
बियां ई जीमूं
सगळां रै जीम्यां पछै!
मां !
थूं कद बैठगी
ऊंडै आय’र म्हारै
है ज्यूं री ज्यूं?