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पीरे के लिए कविता / नाज़िम हिक़मत
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मैं क़िताब पढ़ता हूँ
- तुम उसमें हो
गीत सुनता हूँ
- तुम उसमें हो
खाने बैठा हूँ रोटी
- तुम बैठी हो सामने
मैं काम करता हूँ
- तुम वहाँ मौज़ूद हो
हालाँकि हाज़िर हो तुम सभी जगह
बात नहीं कर सकती तुम मुझ से
सुन नहीं पाते हम आवाज़ एक-दूजे की