भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अेक सौ / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:09, 4 जुलाई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंदी मांडै जद छोर्यां
भोत राजी हुवै मन मांय
जाणै चमकै बीज गगन मांय

बै सत्संग करै
पण प्रीत रा अै सबद
पछै भोत तंग करै
जणै सासरो जावणो पड़ै
साची कैवै आत्मा!
मां अर मां-बोली बिना
भोत पिछतावणो पड़ै।