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चन्दा मामा का गीत / रमेश रंजक

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चन्दा मामा दूर के
नखरे बड़े हुज़ूर के
तोड़ रहे हैं छत पर चढ़कर पत्ते बड़े खजूर के ।
                              चन्दा मामा दूर के ।।

नीले-नीले आसमान में
दिया जले जैसे मकान में
बैठ गए हैं सई-साँझ से रंग लिए अमचूर के ।
                            चन्दा मामा दूर के ।।

सीढ़ी-सीढ़ी चढ़ते जाते
धीरे-धीरे बढ़ते जाते
इतने बढ़ जाते हैं जैसे फुलके हों तन्दूर के ।
                           चन्दा मामा दूर के ।।

कभी दिखें नाख़ून बराबर
कभी दिखें फूटी-सी गागर
कभी-कभी हफ़्तों छिप जाते मारे किसी गरूर के
                              चन्दा मामा दूर के ।।