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गिरेड़ा / निशान्त
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तिसळ’र पड़तै आदमी नै 
देख’र 
कइयां रै भीतर
चेळको बापरै 
अलबत मूंडै स्यूं तो 
आ ई निसरै 
‘बिच्यारै रै लागी ..... श्ई ....’।
	
	