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मुगदैर मारू / कस्तूरी झा ‘कोकिल’

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नर-पिशाच नाचै अछि देखू,
ता-ता-ता-ता थैया।
पीबै छथि शोणित कनियाँ केर
बड्ड जुलुभ ई भैया।
पहिनें माँगलेन हीरो होण्डा,
पाछाँ रंगीन टी. भी.।
अंखा, पंखा, फीरिज से हो,
अब कोना कऽ जी.बी.?
मासे-मासे एत्ते टाका,
चलतेन कोनाँ गाड़ी?
करजा काठि पठौनें छी कंहुनाँ,
बेटी लेल दुइ साड़ी।
खेत बिकागेल, घोॅर बिकागेल,
आओर बिकायल, बछिया।
थारी, लोटा नैं अछि किछुओ,
नैं बाबाकेर गछिया।
तूहीं बताबह कोनाँ बचाबी?
ई हालत में धीया।
मुगदैर मारु नर पिशाच केॅ,
करियौ छीया-छीया।

-17.11.1992