भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मायाको ढिस्को / अभि सुवेदी
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:58, 5 मई 2016 का अवतरण
धेरै बगेपछि
आँशु जस्तो पानी
सुकेर गए पनि
आकाशमा कटक्क माया लाग्ने
ढिस्को बनाएर जाँदो रहेछ ।