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शीर्षकहीन-2 / गिरधर राठी
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कहीं दूर कहीं दूर कहीं बहुत-बहुत दूर
मुझ से दूर
खिसकता चला जा रहा है
मेरा घर
जो मेरा गाँव भी था
प्रदेश भी
देश भी