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पंथ में सांझ / नामवर सिंह

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पथ में साँझ
पहाड़ियाँ ऊपर
पीछे अँके झरने का पुकारना ।

सीकरों की मेहराब की छाँव में
छूटे हुए कुछ का ठुनकारना ।

एक ही धार में डूबते
दो मनों का टकराकर
दीठ निवारना ।

याद है : चीड़ी की टूक से चाँद पै
तैरती आँख में आँख का ढारना ?