भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फूलै त टिप्छ नि / दिलिप योन्जन

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:54, 9 जुलाई 2017 का अवतरण (Sirjanbindu ने फुलै त टिप्छ नि / दिलिप योन्जन पृष्ठ फूलै त टिप्छ नि / दिलिप योन्जन पर स्थानांतरित किया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


फुलै त टिप्छ नि मान्छे
काडाँ कस्ले टिप्छ र
खुसी त लिन्छ नि मान्छे
ढुख काहाँ साट्छ र।

हुदा खादा पो आफ्नो मान्छे
नभए सबै पराई
मित्र पनि सत्रु बन्छ मान्छे
बाचे रोई कराई।

कुरा काटी हाँस्छ नाँच्छ मान्छे
हिजो जिउ२ गर्ने
मौका परे मार्छ मान्छेले मान्छे
भरोसा कस्को गर्ने।