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हाथों की व्याख्या / असद ज़ैदी

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मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरे हाथ हैं

इन हाथों की

मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़


कुछ चीज़ें चींटियों की तरह चल कर आती हैं

हाथ इंतजार में थक जाते हैं


कुछ चीज़ें तेज़ी से उड़ती हुयी ऊपर से गुज़र जाती हैं

हाथ देखते रह जाते हैं


मैंने देख कर सारी रफ़्तार देख ली है ज़माने की रफ़्तार

मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरी आँखे हैं

इन आँखों की


ये आँखे सब कुछ देखने को तैयार हैं

देखिये ये आँखे देख रही हैं - समय का चक्का घूम रहा है

मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़


मैं व्याख्या करता हूँ देखिये ये मेरा गला है

मैं यहाँ से बोलना चाहता हूँ

पर यह गला बहुत डरता है अपने ही हाथों से !