भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नदियाँ / आलोक धन्वा

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:48, 10 नवम्बर 2009 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इछामती और मेघना
महानंदा
रावी और झेलम
गंगा गोदावरी
नर्मदा और घाघरा
नाम लेते हुए भी तकलीफ़ होती है

उनसे उतनी ही मुलाक़ात होती है
जितनी वे रास्ते में आ जाती हैं

और उस समय भी दिमाग कितना कम
पास जा पाता है
दिमाग तो भरा रहता है
लुटेरों के बाज़ार के शोर से।