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मैं हिन्‍दू हूँ / कुमार मुकुल

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मैं
हिन्‍दू हूँ
इसलिए
वे
मुसलमान और ईसाई हैं
जैसे
मैं चर्मकार हूँ
इसलिए वे
बिरहमन या दुसाध हैं

आज हमारा होना
देश-दिशा के अलगावों का सूचक नहीं
हम इतने एक से हैं
कि आपसी घृणा ही
हमारी पहचान बना पाती है
मोटा-मोटी हम
जनता या प्रजा हैं
हम
सिपाही पुजारी मौलवी ग्रंथी भंगी
चर्मकार कुम्‍हार ललबेगिया और बहुत कुछ हैं
क्‍योंकि हम
डॉक्‍टर इंजीनियर नेता वकील कलक्‍टर
ठेकेदार कमिश्‍नर कुछ भी नहीं हैं

उनके लिए क्‍लब हैं
पांच सितारा होटल हैं
एअर इंडिया की सेवाएं हैं

हमारे लिए
मंदिर - मस्जिद - गिरजा
पार्क और मैदान हैं
मार नेताओं के नाम पर
और उनमें ना अंट पाने के झगडे हैं

हम आरक्षित हैं
इसलिए हमें आरक्षण मिलता है
मंदिरों - मस्जिदों - नौकरियों में
जहां हम भक्ति और योग्‍यता के आधार पर नहीं
अक्षमताओं के आधार पर
प्रवेश पाते हैं
और
बादशाहों और गुलामों के
प्‍यादे बन जाते हैं।