भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
व्यंजन पकाने की विधि / प्रयाग शुक्ल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:31, 1 जनवरी 2009 का अवतरण
व्यंजन पकाने की विधियाँ कई हैं
व्यंजन भी कई हैं
ढेरों व्यंजनों के
पर, व्यंजन विधियों को चकमा देकर
कब और कैसे स्वाद को
मधुर तिक्त करते हैं
यही चमत्कार है।
चाहें तो हम इसे रहस्य भी कह लें।
हाथों का जस
वह तो होता है
उससे भी बड़ी चीज वह मन है
जो व्यंजन पकाता है,
वह अदृश्य रहता है
स्वाद जो आता है जीभ पर
जान वह कैसे यह लेता है,
किस मन से व्यंजन पकाया गया।
सामग्री , वह तो सोची होगी
सामग्री बिन व्यंजन
यह तो सुना नहीं,
हाँ वह भी कैसे पकाई गई
यह महत्वपूर्ण है।
अंत तब यही होगा स्वाद का
कैसे जुटाये गये
सामग्री व्यंजन विधियाँ।