भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पुरानी यादें-4 / मनीषा पांडेय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:49, 26 जनवरी 2010 का अवतरण
पुरानी यादें
ठहरे हुए पानी की तरह
सड़ती हैं
अटकती हैं साँस रात भर
रातें गुज़रती हैं मुश्किल से