मुक्तक-10 / रंजना वर्मा
बेवफ़ा हाय क्या किया तुम ने
राज गम का छिपा लिया तुम ने।
अश्क़ आंखों के पी लिये सारे
और बस मुस्कुरा दिया तुम ने।।
खुशी इस जिन्दगी से तुम हमारी बीन मत लेना
दुखी कर दूसरों को तुम सपन रंगीन मत लेना।
दुआ या बद्दुआ जो चाहते हो दो मुझे लेकिन
तबस्सुम मेरे होठों से कभी तुम छीन मत लेना।।
समय बलवान है टूटे दिलों को जोड़ देता है
समय दुश्वार है रुख जिंदगी का मोड़ देता है।
अगर साहस प्रबल हो और पर्वत सा इरादा हो
तो ' फिर इंसान पीछे वक्त को भी छोड़ देता है।।
हृदय द्वार में छवि माँ तेरी तिरछी फँसी रहे
यादों में मेरी नित तेरी पावन हँसी रहे।
जन्म दिया पाला पोसा सुंदर व्यक्तित्व दिया
ममतामयीमूर्ति तेरी नयनों में बसी रहे।।
जग के माया जाल ने, किया हृदय को क्रुद्ध
दुख का कारण जानने, निकले घर से बुद्ध।।
भुला दिया ऐश्वर्य सब, कठिन तपस्या हेतु
तभी जुड़े संसार से, जब हो गये प्रबुद्ध।।