भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तनी सुन लऽ बालमा / उमेश बहादुरपुरी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:44, 14 मार्च 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमर पायल करऽ हे झंकार तनी सुन लऽ बालमा
तोहरे पुकारे बार बार तनी सुन लऽ बालमा
ई सामली सुरतिया तोर मनमा हे भावे
देखऽ ही हम केकरो तोहरे इयाद आवे
नैना तोहरे करऽ हे इंतजार तनी सुन लऽ बालमा
तोहरे ....
हर पल बोलऽ हे तोहरा से ई कंगना
अब न करऽ देरी पिया आवऽ मिलऽ सजना
पहिरा दऽ बँहियन के हार तनी सुनऽ बालमा
तोहरे ....
रतिया में बोलऽ हे जब पापी रे पपीहरा
छतिया में हूक मारे सुनऽ हमर जीयर
कर अयलूँ सोलहो सिंगार तनी सुनऽ बालमा
तोहरे .....